Reena Bhatti News:Haryana, known across the country for encouraging athletes, is home to a daughter who is bringing pride to the state and the nation through her exceptional courage and hard work. However, it is unfortunate that such a daughter still faces serious challenges like financial hardship and unemployment.
हरियाणा, जो देशभर में खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए जाना जाता है, वहां की एक बेटी अपने असाधारण साहस और मेहनत से प्रदेश और देश का नाम रोशन कर रही है। लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि ऐसी बेटी को आज भी आर्थिक तंगी और बेरोजगारी जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
हम बात कर रहे हैं हिसार जिले के गांव बालक की बेटी रीना भट्टी की, जो एक ट्रैक्टर मिस्त्री की बेटी हैं और अब तक देश-विदेश में 20 से ज्यादा ऊंची चोटियों पर तिरंगा फहरा चुकी हैं। रीना ने हाल ही में एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिससे हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है — उन्होंने सिर्फ 20.50 घंटे में माउंट एवरेस्ट और ल्होत्से जैसी दो विशाल चोटियों को एक साथ फतह कर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बना डाला।
सपनों की ऊंचाई तक पहुंचने की जद्दोजहद
रीना का सपना है कि वह दुनिया की सभी 8000 मीटर से ऊंची 14 चोटियों को फतह करें। इनमें से 3 पर्वतों पर वह विजय हासिल कर चुकी हैं, लेकिन आगे का सफर आसान नहीं है। उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सरकारी सहायता की सख्त जरूरत है। रोज़ सुबह HAU (हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी) के गिरी सेंटर में 3 से 4 घंटे तक दौड़ और अन्य अभ्यास कर रही हैं, लेकिन आर्थिक सहयोग की कमी उन्हें बार-बार रोकती है।
सरकार से एक ही उम्मीद: मान्यता और मदद
रीना भट्टी ने हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री और खेल मंत्री को एक पत्र लिखकर ए ग्रेड की सरकारी नौकरी और आर्थिक मदद की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि,
“मैं हिंदुस्तान की सबसे तेज पर्वतारोही हूं। एवरेस्ट और ल्होत्से को सबसे कम समय में फतह कर इतिहास रच दिया। फिर भी मुझे अब तक सरकारी स्तर पर कोई मान्यता या सहायता नहीं मिली है। एक बेटी होने के नाते, मैं आपसे सिर्फ एकi आस लगाए बैठी हूं कि मेरी उपलब्धियों को भी मान दिया जाए।”
जब बेटियां उड़ान भरती हैं, तो पूरा समाज ऊंचा उठता है
रीना का मानना है कि अगर सरकार उसका साथ दे, तो न सिर्फ वह बल्कि उसके जैसी कई बेटियां अपनी-अपनी उड़ान भर सकती हैं। आज उसे सिर्फ एक सहारे की जरूरत है — एक पहचान की, एक नौकरी की, एक आर्थिक सहयोग की, जिससे वह बाकी 11 ऊंचे पर्वत भी फतह कर सके और भारत का झंडा उन ऊंचाइयों पर लहरा सके जहाँ आज तक कोई नहीं पहुंचा।
पर्वत जीतने वाली बेटी, अब सरकारी दरवाज़ों पर दस्तक दे रही है
रीना जैसी युवाओं को देखकर ये साफ़ कहा जा सकता है कि प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, कमी है तो सिर्फ उस मान्यता की, जो उनके आत्मविश्वास को स्थायी बना सके। ऐसी बेटियों को अगर समय रहते प्रोत्साहन और आर्थिक सहायता मिले, तो वह ना केवल अपने लिए बल्कि देश के लिए प्रेरणा बन जाती हैं।
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एक अपील, एक उम्मीद
रीना की कहानी उन हजारों युवाओं के लिए मिसाल है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं। अब ज़रूरत है कि सरकार उनकी इस मेहनत को पहचान दे और उन्हें वो सहायता दे जिसकी वह हक़दार हैं।
रीना की एक ही अपील है—
“सरकार मेरा साथ दे, मुझे पहचान दे, ताकि मैं आगे की ऊंचाइयों को भी छू सकूं। आपकी मदद से मैं न केवल अपना बल्कि देश का नाम और ऊंचा कर सकती हूं।”