Asha worker News Hisar: हिसार, 27 मार्च: आशा वर्कर्स ने अपनी मांगों को लेकर बुधवार को लघु सचिवालय के बाहर जोरदार धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की। आशा वर्कर्स का कहना है कि सरकारें उनके कार्य को महत्वपूर्ण तो मानती हैं, लेकिन उनके अधिकारों और सुविधाओं की अनदेखी कर रही हैं।
धरने का नेतृत्व यूनियन की जिला सचिव अनीता, उषा, सुमन, नीता, कृष्णा, सीमा धीरणवास, सीमा रावलवास, पूनम टोकस और सीटू के जिला सचिव मनोज कुमार ने किया। प्रदर्शन में सैकड़ों आशा वर्कर्स शामिल हुईं और उन्होंने अपनी मांगों को पूरा करने की जोरदार अपील की।
सरकार के रवैये पर नाराजगी
धरने के दौरान आशा वर्कर्स ने आरोप लगाया कि सरकारें सिर्फ वादे करती हैं, लेकिन उन्हें लागू करने में कोई गंभीरता नहीं दिखातीं। उन्होंने कहा कि आशा वर्कर्स ग्रामीण और शहरी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ हैं, लेकिन उनके अधिकारों और भत्तों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।
आशा वर्कर्स ने कहा, “हमें स्वास्थ्य सेवाओं का अहम हिस्सा माना जाता है, लेकिन हमें स्थायी कर्मचारी का दर्जा नहीं दिया जाता। सरकारें हमें सिर्फ चुनावी वादों में इस्तेमाल करती हैं, लेकिन जब हक देने की बात आती है तो पीछे हट जाती हैं।”
आशा वर्कर्स की प्रमुख मांगें
धरने में शामिल वर्कर्स ने 12 मुख्य मांगें उठाईं और सरकार से जल्द से जल्द इन मांगों को पूरा करने की अपील की।
1. कटे हुए मानदेय का भुगतान
वर्ष 2023 की हड़ताल के दौरान 73 दिनों का जो मानदेय काटा गया था, उसे तुरंत वापस दिया जाए।
2. नियमितीकरण
आशा वर्कर्स को स्थायी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए और उन्हें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) का स्थायी हिस्सा बनाया जाए।
3. वेतन बढ़ोतरी
आशा वर्कर्स के न्यूनतम वेतन को ₹26,000 प्रति माह किया जाए, ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें।
4. समान कार्य परिस्थितियां
पूरे देश में आशा वर्कर्स के लिए समान कार्य माहौल और सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं।
5. अवकाश सुविधा
आशा वर्कर्स को 6 महीने का सवेतन मातृत्व अवकाश, 20 दिन का आकस्मिक अवकाश और चिकित्सा अवकाश दिया जाए।
6. पदोन्नति
वरिष्ठता के आधार पर आशा वर्कर्स को अन्य पदों पर पदोन्नति दी जाए, ताकि उन्हें करियर ग्रोथ का अवसर मिले।
7. विश्राम कक्ष
सभी पीएचसी, सीएचसी और अस्पतालों में ‘आशा विश्राम कक्ष’ बनाए जाएं, ताकि वे अपनी ड्यूटी के दौरान आराम कर सकें।
8. यात्रा सुविधा
आशा वर्कर्स को ड्यूटी के लिए यात्रा भत्ता दिया जाए और उन्हें स्कूटर प्रदान किया जाए, ताकि वे दूरदराज के क्षेत्रों में आसानी से पहुंच सकें।
9. डिजिटलीकरण के लिए संसाधन
सरकार आशा वर्कर्स को उच्च गुणवत्ता वाले टैबलेट, डेटा पैक, नेटवर्क और प्रशिक्षण उपलब्ध करवाए, ताकि वे डिजिटल कार्य आसानी से कर सकें।
10. ऑनलाइन कार्यों का इंसेंटिव
आशा वर्कर्स से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काफी काम लिया जाता है, लेकिन इसके लिए कोई अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि नहीं दी जाती। उन्होंने मांग की कि डिजिटल कार्यों के लिए अलग से इंसेंटिव दिया जाए।
11. निजीकरण पर रोक
सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं और अस्पतालों के निजीकरण को रोका जाए, ताकि गरीब और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं मिलती रहें।
12. श्रम संहिताओं को रद्द किया जाए
आशा वर्कर्स को श्रम कानूनों के दायरे में लाया जाए और नई श्रम संहिताओं को रद्द किया जाए, जिससे उनके अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
सरकार को दी चेतावनी
धरना स्थल पर यूनियन के जिला सचिव मनोज कुमार ने कहा कि अगर सरकार ने जल्द से जल्द इन मांगों पर विचार नहीं किया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आशा वर्कर्स अब और इंतजार नहीं करेंगी और वे अपने अधिकारों के लिए बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगी।
“अगर सरकार हमारी मांगों को पूरा नहीं करती है, तो हम विधानसभा और संसद का घेराव करेंगे। हम तब तक संघर्ष करेंगे, जब तक हमें हमारा हक नहीं मिल जाता,” यूनियन की नेता अनीता ने कहा।
जनता का समर्थन भी बढ़ा
इस धरने को स्थानीय लोगों और कई सामाजिक संगठनों का भी समर्थन मिला। प्रदर्शन में शामिल कुछ महिलाओं ने कहा कि आशा वर्कर्स उनके घर-घर जाकर स्वास्थ्य सेवाएं देती हैं और महामारी के दौरान भी अपनी जान जोखिम में डालकर सेवा की थी। ऐसे में सरकार को उनके साथ न्याय करना चाहिए।
निष्कर्ष
आशा वर्कर्स का यह प्रदर्शन सरकार के लिए एक कड़ा संदेश है कि वे अब अपने अधिकारों से समझौता नहीं करेंगी। उनकी मांगें पूरी न होने पर वे आने वाले समय में और बड़े स्तर पर आंदोलन कर सकती हैं। अब यह देखना होगा कि सरकार इन मांगों पर क्या कदम उठाती है और क्या आशा वर्कर्स को उनका हक मिल पाएगा या नहीं