नारनौंद: हरियाणा और पंजाब के किसानों का आंदोलन पिछले 10 महीने से जारी है। अपनी 13 सूत्रीय मांगों को लेकर किसान सर्दी के मौसम में भी सड़कों पर र2हने को मजबूर हैं। नारनौल और खनौली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बुधवार को उपमंडल परिसर में एक दिवसीय भूख हड़ताल की। इस दौरान उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपनी मांगों को दोहराया।
नारनौल में किसानों ने 13 सूत्रीय मांगों को लेकर एसडीएम मोहित मेहराणा को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। किसानों का कहना है कि उनकी मांगें लगातार अनसुनी की जा रही हैं। सरकार न केवल उनकी समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है, बल्कि उनके लोकतांत्रिक आंदोलन को दबाने के लिए गैर-संवैधानिक तरीके अपना रही है।
इस भूख हड़ताल का मुख्य उद्देश्य खनौली बॉर्डर पर चल रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन का समर्थन करना था। डल्लेवाल पिछले 25 दिनों से अनशन पर हैं, और उनकी तबीयत तेजी से बिगड़ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि उनकी स्थिति हर दिन गंभीर होती जा रही है। बावजूद इसके, सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही।
क्या हैं किसानों की मांगें?
किसानों ने अपनी 13 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन शुरू किया है। इनमें से कुछ मुख्य मांगें हैं:
1. एमएसपी की गारंटी: किसानों की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुनिश्चित किया जाए।
2. कर्ज माफी: किसानों पर बकाया कर्ज को माफ किया जाए।
3. कृषि कानूनों के बाद बने नियम: पिछले कृषि कानूनों से संबंधित बनाए गए सभी नियमों को रद्द किया जाए।
4. आर्थिक सहायता: छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक मदद दी जाए।
5. पराली जलाने पर सजा का विरोध: पराली जलाने को लेकर किसानों पर लगाए गए जुर्माने और सजा को खत्म किया जाए।
6. कृषि उपकरणों पर सब्सिडी: किसानों को सस्ते दरों पर कृषि उपकरण और खाद-बीज उपलब्ध कराए जाएं।
सरकार पर आरोप
किसानों का कहना है कि उनका आंदोलन पूरी तरह से लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण है, लेकिन सरकार इसे दबाने के लिए गैर-संवैधानिक कदम उठा रही है। आंदोलनकारियों को डराने के लिए नोटिस भेजे जा रहे हैं और उन्हें परेशान किया जा रहा है। किसानों का यह भी आरोप है कि सरकार उनके धैर्य की परीक्षा ले रही है।
नेता की तबीयत बिगड़ी
आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक, सरदार जगजीत सिंह डल्लेवाल, पिछले 25 दिनों से आमरण अनशन पर हैं। वह एक कैंसर पीड़ित भी हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपनी मांगों के लिए अनशन शुरू किया। डॉक्टरों के अनुसार, डल्लेवाल की तबीयत लगातार बिगड़ रही है। उनके वजन में तेजी से गिरावट हो रही है और उनका स्वास्थ्य गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
किसानों का समर्थन बढ़ा
किसान आंदोलन में हरियाणा और पंजाब के किसान एकजुट हैं। विभिन्न किसान संगठनों के अलावा समाज के अन्य वर्गों का भी इस आंदोलन को समर्थन मिल रहा है। नारनौल में हुए प्रदर्शन के दौरान किसानों ने कहा कि वे अपने हक के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। चाहे सरकार गोली चलाए या नोटिस भेजे, वे अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेंगे।
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किसानों का संघर्ष
यह आंदोलन सर्दियों की कड़ी ठंड में भी जारी है। किसान खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं। उनकी इस स्थिति ने राज्य और केंद्र सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ा दी है। आंदोलनकारियों का कहना है कि यह लड़ाई केवल किसानों की नहीं, बल्कि देश की कृषि व्यवस्था को बचाने की है।
किसानों की चेतावनी
किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को जल्द से जल्द पूरा नहीं किया गया, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। सरकार की चुप्पी से आंदोलनकारियों के बीच गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
किसानों का यह आंदोलन सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। 13 सूत्रीय मांगों को लेकर शुरू हुआ यह आंदोलन अब किसान समुदाय की एकता का प्रतीक बन गया है। सरकार को चाहिए कि वह किसानों की मांगों को गंभीरता से ले और समाधान निकालने के लिए तुरंत कदम उठाए।
किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। यह आंदोलन केवल उनकी जरूरतों को लेकर नहीं, बल्कि उनके सम्मान और अधिकारों के लिए है।