हिसार: जिले के लघु सचिवालय के गेट पर हर्षिता सोनी की तलाश में एक परिवार बीते 12 दिनों से ठंड में धरने पर बैठा है। परिवार ने अपनी बेटी के लापता होने की शिकायत तीन महीने पहले पुलिस में दर्ज कराई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस जानकारी नहीं मिलने से वे हताश हैं। पिता सुनील सोनी, उनकी पत्नी और दो छोटे बच्चे खुले आसमान के नीचे न्याय की गुहार लगा रहे हैं।
तीन महीने से लापता है हर्षिता
हर्षिता सोनी और तीन महीने पहले अचानक घर से लापता हो गई। परिवार ने उसे हरसंभव जगह पर ढूंढने की कोशिश की—रिश्तेदारों, दोस्तों और आसपास के इलाकों में, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।
पिता सुनील सोनी का कहना है, “हमने पुलिस में शिकायत दी, लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद भी हमारी बेटी का कोई पता नहीं चल पाया। हमें सिर्फ आश्वासन मिल रहे हैं, लेकिन पुलिस ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। मजबूर होकर हमें इस धरने पर बैठना पड़ा।”
सामाजिक संगठनों का बढ़ता समर्थन
धरने पर बैठे इस परिवार को अब स्थानीय सामाजिक संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है। ये संगठन परिवार की मदद करने के साथ प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव बना रहे हैं। धरने पर पहुंचने वाले लोग परिवार के लिए भोजन, गर्म कपड़े और कंबल लेकर आ रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश कुमार ने कहा, “यह बेहद दुखद है कि हर्षिता जैसी मासूम बच्ची को ढूंढने में पुलिस असफल रही है। प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। इस परिवार को ठंड में यूं धरने पर बैठने के लिए मजबूर करना बेहद शर्मनाक है।”
ठंड में बच्चों का संघर्ष
धरने पर बैठे सुनील सोनी और उनकी पत्नी के साथ उनके दो छोटे बच्चे भी इस मुश्किल घड़ी में उनका साथ दे रहे हैं। सर्द मौसम और ठंडी हवाओं के बावजूद बच्चे अपने माता-पिता का साथ छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
सामाजिक संगठनों और स्थानीय नागरिकों ने परिवार को भोजन, कंबल और अन्य जरूरी सामान मुहैया कराया है। लेकिन ठंड के बीच उनका संघर्ष अब भी जारी है।
प्रशासन पर उठे सवाल
धरने का आज 12वां दिन है, लेकिन प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। पुलिस का कहना है कि वे मामले की जांच कर रहे हैं और हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
हालांकि, परिवार और सामाजिक संगठनों का आरोप है कि पुलिस सिर्फ कागजी कार्रवाई में व्यस्त है। धरने पर मौजूद एक व्यक्ति ने कहा, “अगर प्रशासन ने समय रहते कदम उठाए होते, तो आज हर्षिता अपने परिवार के साथ होती।”
पिता की गुहार
पिता सुनील सोनी ने कहा, “यह सिर्फ मेरी बेटी का मामला नहीं है। हर माता-पिता को अपने बच्चों की सुरक्षा का अधिकार है। अगर आज हम चुप रहेंगे, तो कल किसी और की बेटी भी इसी तरह लापता हो सकती है। हम तब तक नहीं हटेंगे, जब तक हमारी हर्षिता वापस नहीं मिल जाती।”
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सामाजिक संदेश
यह घटना न केवल प्रशासन की नाकामी को उजागर करती है, बल्कि समाज को भी सोचने पर मजबूर करती है। बच्चों की सुरक्षा और महिलाओं के अधिकार जैसे मुद्दों पर गंभीर कदम उठाने की जरूरत है।
पुलिस की प्रतिक्रिया
पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि वे मामले की जांच तेजी से कर रहे हैं और जल्द ही लड़की को खोजने का प्रयास करेंगे। हालांकि, परिवार को अब भी प्रशासन से ठोस कार्रवाई की उम्मीद है।
यह घटना एक परिवार के संघर्ष और उनकी बेटी की तलाश का प्रतीक बन गई है। हर्षिता सोनी का लापता होना केवल उनके परिवार का दुःख नहीं है, बल्कि समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस मामले को प्राथमिकता देकर जल्द से जल्द हर्षिता को उसके परिवार से मिलाए।
धरने पर बैठे इस परिवार ने समाज और प्रशासन से अपील की है कि वे हर्षिता की सुरक्षा सुनिश्चित करें और ऐसे मामलों को हल्के में न लें। अब देखने की बात यह है कि यह संघर्ष कब खत्म होता है और हर्षिता अपने घर वापस लौटती है।